Look at today's newspapers in education-related news
Children had low levels of achievement will be the teacher responsible
Court's decision in Shicshamitron outrage
249 trainees in the test knee predicament.Thank
Became the school ruins in panic innocent
36 thousand crore studies teacher salary spending levels too low
डालिए एक नजर आज के समाचार पत्रों मे शिक्षा से सम्बन्धित खबरों पर
बच्चों के सीखने का स्तर कम मिला तो शिक्षक होंगे जिम्मेदार
न्यायालय के फैसले पर शिक्षामित्रों में आक्रोश
परीक्षा में 249 प्रशिक्षुओं ने टेके घुटने
खण्डर बने स्कूल दहशत में मासूम
शिक्षकों के वेतन में 36 हजार करोड खर्च पढाई स्तरहीन
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खबर साभार जागरण |
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खबर साभार अमर उजाला |
खंडहर बने स्कूल, दहशत में मासूम
कहीं दीवारें चटकी तो किसी स्कूल की छतें टपकती हैं
अभिभावक सुबह मौसम का मिजाज देख बच्चों को भेजते हैं
टूटी खिड़की से बारिश की बौछार से तर हो जाते हैं
बच्चे
उरई (जालौन)। नया शिक्षण सत्र शुरू होने पर बच्चों के
चेहरे खिले हुए हैं, वहीं, सरकारी स्कूलों के तमाम मासूम दहशत में हैं। स्कूलों के खस्ताहाल भवन, बरसात में टपकती छतें और ढेरों अन्य अव्यवस्थाएं उनकी परेशानी का सबब बनी हुई
हैं। जिले में परिषदीय स्कूलों का हाल यह है कि कहीं पर स्कूल परिसर तालाब-सा बना
है तो कहीं पर दीवारें चटकी हैं और छतों से पानी टपक रहा है। बारिश के समय टूटी
खिड़कियों से आने वाली बौछार से कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे तरबतर हो जाते हैं। दो
दिन हुई बरसात में शहर में जिला परिषद केे पास संचालित तीन विद्यालयों के परिसर
में इस कदर जलभराव हो गया है कि बच्चे शनिवार को स्कूल तो आए, लेकिन बिना पढे़ ही लौट गए। माधौगढ़ क्षेत्र के कुरौती गांव स्थित प्राथमिक
विद्यालय की इमारत भी जर्जर है। इसकी वजह से बरसात में यहां बनाए गए एकल कक्ष में
ही सभी कक्षाओं के बच्चे एक साथ बैठकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। इमारत पूरी तरह से
जर्जर हो गई है। इसकेे अलावा क्षेत्र में दो अन्य विद्यालय भी हैं, जहां की इमारत जर्जर हैं और वहां बरसात में बच्चों को परेशानियों का सामना
करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर स्थिति यह है कि बरसात में बच्चों को स्कूल के नाम से
ही डर लगा हुआ है। अभिभावक भी सुबह मौसम का मिजाज देखकर ही बच्चों को स्कूल भेजते
हैं। ‘अमर उजाला’ टीम ने शनिवार को परिषदीय स्कूलों का हाल जाना तो कुछ इसी तरह की तस्वीर सामने
आई। पेश है खस्ताहाल स्कूलों की रिपोर्ट-
स्कूल परिसर में कीचड़ और पानी
डकोर ब्लाक क्षेत्र के भुआ गांव
स्थित परिषदीय विद्यालय की इमारत में एक नहीं, कई दरारें आ चुकीं हैं। बरसात में तो बच्चे स्कूल जाने में
कतराते हैं। दरारों से टपकने वाला पानी और परिसर में जलभराव स्कूली बच्चों के लिए
परेशानी का सबब बना हुआ है। परिसर में चिकनी मिट्टी डाल देने से स्थिति और भी
गंभीर हो गई। मिट्टी और पानी से ऐसा कीचड़ हुआ कि बच्चे शनिवार को कम संख्या में
स्कूल पहुंचे। अभिभावकों का कहना है कि बारिश में बच्चों को स्कूल भेजने में कई
बार सोचना पड़ता है।
यहां तो तालाब-सा नजारा दिखता है
शहर में जिला परिषद केे पास
स्कूल की एक इमारत में पूर्व माध्यमिक विद्यालय बघौरा, प्राथमिक विद्यालय गोपालगंज, कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय बघौरा और प्राथमिक विद्यालय
तिलक नगर संचालित हो रहा है। चारों स्कूलों का एक ही परिसर है। यहां हल्की बारिश
में ही जलभराव हो जाता है, जिससे बच्चे स्कूल नहीं पहुंच
पाते हैं। जो स्कूल में पढ़ रहे होते हैं तो उन्हें बाहर आने में परेशानी होती है।
बीते साल भी यही समस्या थी।
जर्जर हो चुकी हैं 19 स्कूलों की इमारत
जिले में 553 पूर्व माध्यमिक विद्यालय और 1247 माध्यमिक विद्यालय समेत 1800 परिषदीय स्कूल हैं। इनमें से 19 स्कूलों की इमारत जर्जर हो चुकी है। बीते वर्ष यह संख्या 138 थी, जिसमें से बेसिक शिक्षा विभाग
की ओर से तेजी से काम कराया गया, इसके बावजूद 19 स्कूलों की बिल्डिंगों में काम नहीं हो सका, जिसकी वजह से बरसात में यहां पढ़ने वाले बच्चों को परेशानी झेलनी
पड़ रही है। पानी बरसते ही छत टपकने लगती है तो टूटी खिड़कियों से बौछारें आने
लगतीं हैं। इतना ही नहीं कक्षा में टूटे फर्श भी परेशानी का विषय बने रहते हैं।
विकास खंड डकोर में 5, माधौगढ़ में 3, कदौरा 3, रामपुरा 1, नदीगांव 3, नगरीय क्षेत्र 1, जालौन 1 और महेबा क्षेत्र में 2 विद्यालय ऐसे हैं, जिनकी इमारत खस्ताहाल है।
जिन परिषदीय विद्यालयों में
जलभराव की समस्या है। वहां पर जलनिकासी के वैकल्पिक इंतजाम करने के लिए
प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिया गया है। बरसात के बाद स्थाई समाधान किया जाएगा।
जर्जर इमारतों के लिए भी प्रस्ताव तैयार कराकर शासन को भेजा जाएगा।-राजेश कुमार वर्मा, बीएसए
प्रदेश के बजट एक
लाख 25 हजार करोड़ रुपये में से 36 हजार करोड़ रुपये सिर्फ परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के
वेतन पर खर्च होते हैं। इसके बावजूद सूबे में बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी न
होना दुखद है। ये कहना है मुख्य सचिव आलोक का। वे शनिवार को विश्वेसरैया सभागार
में प्रदेश सरकार व आई केयर संस्था की ओर से आयोजित ‘100 सरकारी प्राथमिक स्कूलों का रूपांतरण’ विषयक कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की
गुणवत्ता में सुधार न होने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि अन्य नौकरियों के
मुकाबले शिक्षकों को बहुत अच्छा वेतन दिया जा रहा है। इसके बावजूद शिक्षा की
गुणवत्ता न सुधरना बड़ा सवाल खड़ा करता है। इस स्थिति को देखते हुए अब शिक्षा
अधिकारियों को एक प्रोफॉर्मा दिया जाएगा जिसे निरीक्षण के दौरान उन्हें भरना होगा।
निरीक्षण में अब शिक्षकों की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। इसके अलावा उन्होंने
परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता खराब होने के पीछे आरटीई के तहत आठवीं तक
बच्चों को फेल न करने के प्रावधान को भी जिम्मेदार ठहराया।•बेसिक शिक्षा की खराब गुणवत्ता पर मुख्य सचिव आलोक रंजन ने
जताई नाराजगी